अगर हम बोल नही सकते, तो समाज के लिए तार्किक और निर्विवाद तरीके से ज्वलंत सामाजिक समस्याओं और उनके हल, पे-बैक टू सोसाइटी, बहुजन महापुरुषों व उनके विचारों, अन्तर्जातीय विवाह, भारत का संविधान और उनके अनुच्छेदों पर लिखना सीखें। अगर लिख नही सकते तो, जो प्रबुद्ध साथी समाज के लिए बोल रहे हैं-लिख रहे हैं-कुछ कर रहे हैं, उनके साथ चलिए-उनका मनोबल बढ़ाइए। हो सकता है हमारा कोई परिचित इनमें से किसी एक मुद्दे-विषय पर अपनी परिस्थितिजन्य-क्षमताओं के अनुरूप सामाजिक जिम्मेदारी का बेहतरीन तरीके से निर्वहन करने की दिशा में प्रयासरत/प्रतिबद्ध हो, उन्हें वहां, उस क्षेत्र, विषय-विशेष से रोंककर, स्वयं के अपने-अपने सामाजिक क्षेत्रों-पाले-गुट में लाने का जबरन प्रयास न कर, उन्हें निरूत्साहित करने का जोखिम मत उठाइए। जितनी ऊर्जा हम अपनों की आलोचना करने, बुराइयां गिनाने के अवसर ढ़ूढ़ने, ढ़ूढ़-ढ़ूढ़कर कमियां गिनाने और विरोधियों की बुराइयां गिनाने/बताने में व्यय कर रहे हैं, उतनी ऊर्जा यदि प्रतिदिन यदि एक व्यक्ति को ही सकारात्मक तरीके से तार्किकतापूर्वक समझाने में एवं अपनों का प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से समर्थन/सहयोग करने या उपर्युक्त विषयों पर लिखने-बोलने में लगाना शुरू कर देंगे, उस दिन से “हम भारत के लोग” बाबा साहब के सपनों का भारत अर्थात् “संविधान का भारत” बनाने की ओर अग्रसर होकर गतिमान हो जाएंगे। आज समाज के तमाम जाग्रत बहुजन-मिशनरी, धम्म-बंधु जो बहुजन विचारधारा, दुर्लभ बहुजन इतिहास, गुमनाम बहुजन महापुरूषों, भारत का संविधान, अंतरजातीय विवाह आदि से संबंधित दैनिक पोस्ट, जो कट-कापी-पेस्ट न कर, स्वयं के श्रम से खोजबीन कर लिखने के बाद हम-आप तक नित्य पहुंचाते हैं, इसके लिए इन सभी महानुभावों को दुर्लभ साहित्य, इन्टरनेट आदि में घण्टों पढ़ना व खोजबीन करना पङता है, जिसमें इनको अपने परिवार का समय और मानसिक श्रम लगाना पङता है। कई-कई बार तो ऐसे-ऐसे गुमनाम बहुजन महापुरूषों के बारे में जानकारी मिलती है, जो आज प्रसिद्ध बहुजन-महापुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर साथ दिए, पर वह आज तक गुमनाम हैं, जबकि आज हम शिक्षित होने का दंभ भरने से नहीं चूकते, उनके बारे में पढ़-सोंचकर कलेजा फटने को हो जाता है। ऊपर से जातिवादी, अमानवीय और असंवैधानिक प्रवृत्ति के संगठनों-लोगों की हतोत्साहित करने की प्रवृत्ति जग-जाहिर है। ऐसे प्रबुद्ध महानुभावों द्वारा बहुजन समाज को नित्य बेहतरीन-दुर्लभ साहित्य-जानकारी उपलब्ध कराने का यह अर्थ कतई नहीं लगाया जाना चाहिए कि उनके पास बहुत समय है या वह खाली बैठे रहते होंगे, बल्कि यह लोग बहुजन इतिहास को अपने समाज तक सोशल मीडिया के जरिए पहुंचाने के लिए लगातार सजग, चिंतित व तत्पर हैं। हमारे-आपके ऊपर बहुजन महापुरुषों का भारी कर्ज है, जो Pay Back to sociaty के माध्यम से ही चुकाया जा सकता है, जिनके अनेक रूपों में एक रूप बौद्धिक रूप से भी समाज को सजग कर, जागरूक बनाकर ऐसी जानकारी देना भी है। खेदजनक है कि बहुतायत में हमारे बहुजन समाज के लिखे-पढ़े लोग ऐसी दुर्लभ जानकारी को बहुत कम पढ़ते व साझा करते हैं। ऐसी दुर्लभ जानकारी पर टिप्पणी करना, साझा करना, ऐसे सजग प्रबुद्ध साथियों को नित्य प्रोत्साहित कर मनोबल बढ़ाना, हम बहुजनों के जागते रहने का एक सबल उदाहरण है और इन दायित्वों का दैनिक निर्वहन हम सभी को अवश्य समय निकालकर करना ही चाहिए💐🙏🌱जय भीम-जय भारत-जय संविधान
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