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About us – तथागत बुद्ध विहार

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तथागत बुद्ध विहार का इतिहास/स्मृति-प्रेरणा

तथागत बुद्ध विहार की स्थापना के कुछ माह पहले लगभग जनवरी, 2017 में बगल के ग्राम जगमोहनगंज-बबुरिहापुरवा में संत रविदास जी की प्रतिमा एवं स्थल का भव्य निर्माण कराने में सभी प्रकार के सहयोग(शारीरिक/मानसिक, आर्थिक) के साथ अन्य स्थानीय उपासकों के साथ-साथ उपासक बैजनाथ गौतम, चंदापुर एवं उमराव बौद्ध, मंसाखेड़ा गंभीरता से संलग्न हो गये, किंतु कतिपय आपसी स्थानीय सामंजस्य के कारण इस स्थल का उतना भव्य तरीके से निर्माण न हो पाने के कारण निराश उपासकों ने धर्म-उपासकों को अपने महापुरूषों की उपासना-पद्धति का विकल्प प्रदान करने के उद्देश्य से चंदापुर में इस भव्य एवं सर्व-सुलभ बुद्ध विहार बनाने का निश्चय कर, तथागत बुद्ध विहार की नींव रखने का विचार करते हुए इस महत्वपूर्ण कार्य को करने मंे संलग्न हुए।
तथागत बुद्ध विहार एवं बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर प्रेरणा स्थल, ग्राम-चंदापुर, पोस्ट गूढ़ा, ब्लाक शिवगढ़, जनपद रायबरेली, उ0प्र0 की स्थापना किये जाने की प्रेरणा स्थानीय उपासक रहे स्मृतिशेष नन्हू गौतम एवं फूलमती गौतम से प्राप्त हुई एवं उन्हीं की स्मृति में उनके सुपुत्र श्रद्धेय बैजनाथ गौतम व उनकी पुत्रवधू रामरती गौतम ने इस बुद्ध विहार की स्थापना का प्रेरणादायी कार्य किया। स्मृतिशेष नन्हू गौतम व उनकी जीवनसंगिनी फूलमती गौतम कबीरपंथी भगत थे तथा वह दोनों पूर्णतः शाकाहारी थे। वह मद्यपान आदि से सदैव विरत रहे। वह तथागत बुद्ध व बाबा साहेब को जानते व मानते थे तथा मान्यवर कांशीराम और उनके हाथी निशान को अपनी दीवालों पर नीले रंग से वाल पेंटिंग करवाते थे। जिस दिन उनका निधन हुआ, उस दिन वह साहब कांशीराम जी की पार्टी की एक मीटिंग गांव में ही करवा रहे थे और पूरे दिन तत्कालीन गठबंधन प्रत्याशी के साथ क्षेत्र में लोगों से घूम-घूमकर मिले। उसी दिन स्नान व भोजन कर आराम करते हुए नवम्बर, 1993 के अपराह्न 03ः30 बजे वह सदैव के लिए चिरनिद्रा में सो गये। वह आज नहीं हैं, किंतु उनका इस तरह से लोगों से मिलकर, स्नान व भोजन कर आराम करते हुए सोते-सोते अपने प्राण त्यागना उनकी नेकनीयती का एक जीता-जागता प्रमाण है। करीब 17 वर्ष पश्चात् 2010 में उसी माह लगभग उतने ही बजे उनकी जीवनसंगिनी रही श्रद्धेया फूलमती गौतम भी उसी पैतृक स्थल पर चिरनिद्रा में सो गयीं। वह दोनों निडर, ईमानदार, धैर्यवान, मिलनसार व लोगों की मदद करने वाले, नेक स्वभाव के अत्यंत परिश्रमी किसान दम्पत्ति थे। विषम परिस्थतियां भी उन्हें कभी झुका नहीं पायी, उन्होंने मेहनत मजदूरी यहां तक साहूकारों से देनदारियां ले-लेकर कर अपने बच्चों और पोते-पोतियों को पाल-पोसकर विशाल वृक्ष के रूप में तैयार किया, जिनकी छांव में अब कई लोग बैठकर सुकून पाते हैं। अपने परिवार व समाज के स्वाभिमान के लिए वह कभी डिगे नहीं, स्वाभिमान और मान-सम्मान के चलते ही वह अपने पूर्व पैतृक गांव गंगागंज को छोड़कर चंदापुर गांव चले आये थे। वह कर्मकाण्डों एव ंअंधविश्वासों से दूर रहकर प्रकृति के अनुयायी थे। आज के नवनिर्मित तथागत बुद्ध विहार के स्थल पर वह कई दशकों तक मिट्टी की कोठरी बनाकर अपने जानवरों के साथ निवास किया करते थे, जिसके अवशेष मिट्टी के टीले(ढ़ेर)े के रूप में बुद्ध विहार की स्थापना के बहुत दिनों बाद तक दिखायी देते रहे। साथ ही वह इस पूरे परिसर का प्रयोग खेतों के खलिहान एवं धान व गेहूॅं की फसल की मड़ाई के रूप में तथा कण्डे पाथने व गोबर के घूरे के रूप में भी करते थे। उन शीलवान गौतम दम्पत्ति(श्रद्धेय नन्हू दास फूलमती गौतम स्मृति) की याद एवं उनकी कर्मभूमि स्थल पर ही इस तथागत बुद्ध विहार को सु-स्थापित किये जाने का मत संस्थापक सदस्यों द्वारा स्थिर किया गया।

भूमि पूजन स्थापना-स्थल, दिनांक

उत्तर प्रदेश के जनपद रायबरेली स्थित शिवगढ़ ब्लाक की गूढ़ा ग्राम सभा के अंतर्गत चंदापुर गांव के पूर्व में श्रद्धेय बैजनाथ गौतम की पैतृक भूमि पर तथागत बुद्ध विहार एवं बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर प्रेरणा स्थल का भूमि पूजन शीत ऋतु की पूर्णिमा को विश्व मानवाधिकार दिवस 10 दिसम्बर, 2017 के दिन रविवार को अपराह्न 03ः30 बजे पूज्य भंते धम्मपाल जी के हाथों से संपन्न हुआ। इस अवसर पर पूज्य भंते धम्मपाल जी सहित उपासक बैजनाथ गौतम, उमराव बौद्ध, रामरती गौतम, बी0आर0 गौतम, रामफेर गौतम, कुसुमा, गुरूदेई, सरयू प्रसाद वर्मा, रामकुमार कुरील, महेश कुमार, राम किशोर बौद्ध सहित आस पास के कई उपासकगण उपस्थित रहकर तथागत बुद्ध विहार के भूमि पूजन के इस पुनीत व ऐतिहासिक धम्म कार्य के साक्षी बने।

संस्थापक-संरक्षक एवं अन्य सहयोगी उपासक

तथागत बुद्ध विहार की स्थापना के मुख्य संस्थापक/संरक्षक श्रद्धेय बैजनाथ गौतम एवं उनकी जीवनसंगिनी रामरती गौतम हैं। इस धम्मकार्य में पूज्य भंते विश्वकीर्ति जी, सदस्य आल इंडिया भिक्खु संघ कुशीनगर, पूज्य भंते धम्मपाल जी सहित उपासक बी0आर0 गौतम, राम सजीवन गौतम, आशीष भारती, महेश कुमार, इंजी0 दीपक गौतम, आनन्द प्रकाश, डॉ0 रमेश गौतम, रामकुमार कुरील, वेदप्रकाश, उमराव बौद्ध, रामकिशोर बौद्ध, रामफेर, रामहरीश, रामहेत बौद्ध, शिवबरदान, कृपाशंकर मूर्तिकार, सुखमीलाल, बैजनाथ ब्यास, सुनील वर्मा, धनंजय वर्मा, सरयू वर्मा, लाजवंती कुरील, तत्कालीन क्षेत्रीय विधायकगण, तत्कालीन ग्राम प्रधानगण सहित अनगिनत क्षेत्रीय सहयोगी उपासकों के सहयोग व मार्गदर्शन के फलस्वरूप यह यह धम्म कार्य सुगमतापूर्वक संपन्न हुआ।

स्थापना का उद्देश्य

हम देखें तो मा0 कांशीराम जी के मार्गदर्शन में महापुरूषों के सम्मान में कई जिलों तथा विश्वविद्यालयों के नाम महापुरूषों के नाम पर रखे गये थे। कई जगह बहुजन महापुरूषों की प्रतिमायें लगवाईं, जिससे कि बहुजन समाज उनके कार्यों तथा संघर्षों से प्रेरणा लेकर उनके काम को आगे बढ़ा सके। हमारे महापुरूषों ने अमानवीय अव्यवस्था के विरूद्ध संघर्ष करके बहुजन समाज को अपने पैरों पर खड़ा करने का कार्य आज से लगभग दो सौ साल पहले आरंभ किया था। महापुरूषों की प्रतिमायें तथा बुद्ध विहार बहुजन समाज को इन महापुरूषों द्वारा किये गये संघषपूर्ण कार्यों की याद ताजा करते रहते हैं और यह प्रेरणा प्रदान करते हैं कि जो काम महापुरूषों ने अथक प्रयास से प्रारंभ किये थे, वह आगे बंद नहीं होने चाहिए अर्थात्् निरंतर आगे बढ़ते रहने चाहिए। इसी कड़ी में तथागत बुद्ध विहार एवं बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर प्रेरणा स्थल, ग्राम-चंदापुर, पोस्ट गूढ़ा, ब्लाक शिवगढ़, जनपद रायबरेली, उ0प्र0 की स्थापना का मुख्य उद्देश्य बहुजन समाज के लोगों को उनके सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विकास के साथ-साथ उन्हें उपासना का वैकल्पिक स्थल प्रदान करने एवं समाज के भविष्य कहे जाने वाले नौनिहालों को अपने महापुरूषों एवं उनकी मानवतावादी विचारधारा से परिचित कराने के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने एवं आस-पास के गांवों के उपासकों को भी इसी तरह अपने-अपने गांवों-घरों में महापुरूषों की प्रतिमायें व बुद्ध विहार स्थापित करने की प्रेरणा प्रदान करना है और इस उद्देश्य को प्राप्त करने में यह काफी हद तक सफल भी हुआ है, क्योंकि तथागत बुद्ध विहार की स्थापना वर्ष 2017 के पूर्व इस क्षेत्र में बहुजन महापुरूषों की प्रतिमायें व बुद्ध विहार का अत्यंत अभाव सा था, या यों कहें न के बराबर था, परंतु वर्ष 2017 में यह संख्या एक दर्जन से ऊपर होकर निरंतर बढ़ती ही जी जा रही है।

तथागत बुद्ध विहार में अन्य स्थापत्य सह-कार्य/संसाधन (प्रकाष, प्रसाधन, पेयजल, बैठक, अपशिष्ट-डस्टबिन, पैदल पथ, बाड़ा)

तथागत बुद्ध विहार में बुद्ध विहार बैठक.बरामदा के अतिरिक्त सांस्कृतिक आयोजनध्कार्यक्रमए संविधान मेलाए एवं सभाध्मीटिंग आदि करने हेतु एक विशाल बाड़ेयुक्त परिसर है। इसके अतिरिक्त पेयजल हेतु विधायक निधि से स्थापित एक सरकारी हैण्ड पम्पए प्रकाश हेतु लाईट.पंखाए 02 सोलर लाईटए 01 प्रसाधन कक्षए 02 कूड़ा.प्रबंधन स्थलए हरे.भरे वृक्षए बैठने हेतु कंकरीट बेंचए बुद्ध विहार के सामने एवं चारों ओर परिक्रमा.पथ के साथ धम्म हाल व दो कमरे निर्माणाधीन हैं।

डिजिटल पथ-गूगल मैप व बेबसाइट​

तथागत बुद्ध विहार को गूगल मैप https://maps.app.goo.gl/yjU1iXxTTELDB7gD8 से कहीं भी देखा जा सकता है, इस डिजिटली मैप पर तथागत बुद्ध विहार से संबंधितपर्याप्त सामग्री एवं यहां तक पहुॅंचने का मार्ग उपलब्ध है। इसके साथ ही साथ तथागत बुद्ध विहार की प्राधिकृत वेबसाईट भी प्रचलन में है। आप तथागत बुद्ध विहार चंदापुर की
वेबसाइट tathagatbuddhaviharchandapur.com , www.facebook.com , twitter.com को गूगल पर खोलकर इससे संबंधित सूचनायें/सामग्री प्राप्त कर सकते हैं। यहॉं
पर आपको बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर प्रेरणा स्थल, ग्राम-चंदापुर, पोस्ट गूढ़ा, ब्लाक शिवगढ़,     जनपद रायबरेली, उ0प्र0 भारत-229301 का  इतिहास/स्मृति-प्रेरणा, भूमि पूजन स्थापना-स्थल, दिनांक, संस्थापक-संरक्षक एवं अन्य सहयोगी उपासक, स्थापना का उद्देश्य, अन्य स्थापत्य सह-कार्य/संसाधन(प्रकाश, प्रसाधन, पेयजल, बैठक, अपशिष्ट-डस्टबिन, पैदल पथ, बाड़ा), वार्षिक एवं दैनिक साफ-सफाई तथा वाल पेंटिंग/राइटिंग संदेश, डिजिटल पथ-गूगल मैप व बेबसाइट, तथागत बुद्ध विहार में स्थित प्रतिमाएं एवं साज-सज्जा,  दैनिक बुद्ध-धम्म-संघ वंदना, उद्देशिका वाचन गंध, दीप प्रज्ज्वलन, पुष्प, माल्यार्पण  वृक्षारोपण, वार्षिक स्थापना दिवस समारोह व संविधान मेला-10 दिसम्बर(प्रथम स्थापना दिवस से लेकर अब तक) 14 अपै्रल, बुद्ध पूर्णिमा अन्य मासिक पूर्णिमा, साप्ताहिक तथा मासिक सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियॉं, महापुरूषों के जन्म व स्मृति दिवस कार्यक्रम, झंडारोहरण (15 अगस्त) व ध्वजारोहण (26 जनवरी), प्रतिवर्ष प्रबुद्ध भारत कैलेंण्डर(वार्षिक) एवं बहुजन साहित्य, पंचशील ध्वज का निःशुल्क वितरण, पूज्य भंते गण एवं अन्य विशिष्ट महानुभावों का समय-समय पर आगमन, रैली-झॉकी, प्रभात फेरी, पैदल मार्च, भीम जयंती यात्रा, संविधान यात्रा, संस्कार-आवाह-विवाह, नामकरण, अन्नप्राशन, केशकप्पन सस्कार(मुंडन), नये वाहनों की खरीद पर प्रथम दर्शन, बाल्य शैक्षिक गतिविधियॉं, पाठ्य-लेखन
सामग्री का निःशुल्क वितरण व सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, छत्रपति शाहू जी महराज लघु पुस्तकालय व साहित्य की उपलब्धता, महापुरूषों के चित्र व संविधान प्रदर्शनी, मंचन व भाषण प्रशिक्षण, भावी स्थापत्य कार्य-संविधान हाल-विपश्यना हाल, डिजिटल पुस्तकालय, मुख्य बौद्ध द्वार व अशोक स्तंभ का निर्माण, तथागत बुद्ध विहार एवं बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ0 भीमराव आंबेडकर प्रेरणा स्थल के निर्माण के पश्चात्क्षे त्र में स्थापित अन्य प्रतिमायें, प्रमुख बौद्ध पर्यटक स्थल-लुुंबिनी, कपिलवस्तु, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, राजगीर, संकिसा, वैशाली, कौशांबी, केसरिया, भरहुत, पावा, देवदह,  नालंदा, सांची, अजंता एलोरा, दीक्षाभूमि-नागपुर, महू छावनी(म0प्र0), चैत्य भूमि(मुम्बई) एवं बहुजन महापुरूष-तथागत बुद्ध, सम्राट अशोक महान, संत रविदास, संत कबीर, छत्रपति शिवाजी महाराज, गुरू घासीदास, क्रांतिवीर मातादीन, महामना ज्योतिबा फूले, माता सावित्रीबाई, वीरांगना झलकारी बाई, नारायणा गुरू, वीरांगना ऊदा देवी, छत्रपति शाहू जी महाराज, बिरसा मुडा, संत गाडगे, पेरियार रामासामी नायकर, बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ0 भीमराव आंबेडकर, क्रंातिवीर ऊधम सिंह, पेरियार ललई सिंह, बाबू जगदेव प्रसाद, महामना राम स्वरूप वर्मा, कर्पूरी ठाकुर, मान्यवर साहब कांशीराम, बी0पी0 मंडल, फूलन देवी सहित बहुजन साहित्य व भारत का संविधान, जाति का विनाश, बुद्ध और उनका धम्म आदि महत्वपूर्ण पुस्तकें तथा प्रतिवर्ष निकलने वाले संवैधानिक विचारधारा को समर्पित न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर का लिंक इस बुद्ध विहार की वेबसाईट पर ही सुगमता से मिल जायेगा, जो उपासकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण एवं जीवनोपयोगी हैं। 

दैनिक बुद्ध-धम्म-संघ वंदना, उद्देशिका वाचन गंध, दीप-प्रज्ज्वलन, पुष्प, माल्यार्पण

तथागत बुद्ध विहार में प्रतिदिन प्रातः 05ः00 बजे व सायं 08ः00 बजे दैनिक बुद्ध-धम्म-संघ वंदना व भारत का संविधान की उद्देशिका/प्रस्तावना का वाचन किया जाता है। इस समय तथागत बुद्ध विहार में धूप/सुगंधित अगरबत्ती, प्रदीप/मोमबत्ती अथवा दीपक प्रज्जवलित का भगवान बुद्ध को पुष्प अर्पित कर, बोधिसत्व बाबा साहब को माल्यार्पण कर कृतज्ञता ज्ञापित कर पंचशील व भारत का संविधान को अपने निज व्यवहार में ग्रहण करने का प्रतिज्ञान करते हुए संसार के लिए नित्य मंगल कामना उपस्थित उपासकों द्वारा की जाती है।

वृक्षारोपण

तथागत बुद्ध विहार से पूर्व इस स्थल की उसरीली जमीन में जंगली बबूल की झाड़ियां ही दिखती थीं। परंतु तथागत बुद्ध विहार की स्थापना के बाद संस्थापक/संरक्षक एवं सदस्यों द्वारा यहॉं बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण कराया गया, जिसके फलस्वरूप आज यहॉं पर बोधिवृक्ष-पीपल, वटवृक्ष-बरगद, अशोक, कदंब, नींबू, शहतूत, अमरूद, आंवला, केला, पाकड़, कंजी, बोटल-ब्रस, गंेदा सहित अनेक फूलों के वृक्ष व अनेकों किस्म के छायादार पेड़ तथागत बुद्ध विहार की शोभा बढ़ा रहे हैं तथा वृक्षारोपड़ का यह सिलसिला लगातार जारी है। इस हेतु पर्याप्त मात्रा में काली मिट्टी को भी डाला गया है, जिससे वृक्ष जल्दी बड़े होकर परिसर हरा-भरा बना रहे। इन पौंधों को नियमित रूप से मोटर/हैंडपंप से पानी दिया जाता है।

वार्षिक स्थापना दिवस समारोह व संविधान मेला-10 दिसम्बर

तथागत बुद्ध विहार का प्रथम स्थापना दिवस 10 दिसम्बर, 2017 को मनाया गया था, जिसमें पहली बार परिसर में संविधान प्रदर्शनी लगाकर संविधान मेले का भी आयोजन किया गया था। इस मेले में उपस्थित सभी दुकानदारों के उत्साहवर्धन हेतु संस्थापक/संरक्षक महोदय द्वारा दान देने की भी व्यवस्था लगातार की जाती है। स्थापना दिवस के दिन प्रबुद्ध अतिथिगणों द्वारा उपस्थित जनसमूह को भाषण/गायन द्वारा सामाजिक जागरूकता की सीख दी जाती है। यह स्थापना दिवस/संविधान मेला प्रतिवर्ष आयोजकों द्वारा स्थानीय प्रशासन से विधिसम्मत अनुमति लेकर आयोजित किया जाता है, जिसके कारण यहॉं संबंधित थाना के पुलिसकर्मी भी सुरक्षा व्यवस्था हेतु उपस्थित रहते हैं। स्थापना दिवस के दिन तथागत बुद्ध विहार को फूल-मालाओं एवं लड़ियों से एक दिन पहले ही सजा जाता है तथा इस दिन परिसर भव्य टेंट-मैटी, लाईट, पंडाल, साउंड, पंचशील ध्वज-पट्टिकाओं, बैनर-पोस्टर से सुसज्जित रहता है। स्थापना दिवस से एक दिन पूर्व अर्थात् 09 दिसम्बर से ही दूर-दराज से आये पूज्य भंतेगण, बौद्धाचार्य व उपासकों द्वारा तथागत बुद्ध विहार में चंद्रोदय-बुद्धचरित पाठ/त्रिपिटक का पाठ प्रारंभ कर 10 दिसंबर के पूर्वान्ह 10ः00 बजे तक किया जाता है, उसके पश्चात् मंच सज्जा के साथ भाषण व देर रात्रि तक संविधान मेला व प्रदर्शनी का आयोजन भारी भीड़ सहित होता रहता है। 10 दिसम्बर की रात्रि 10 बजे के पश्चात् स्थापना दिवस समारोह का समापन हो जाता है। वर्ष 2017 से वर्ष 2018, 2019, 2020, 2021, 2022, 2023 तथा लगातार यह आयोजन लगातार भव्यता को प्राप्त हो रहा है। इसी दिन 10 दिसम्बर को विश्व मानवाधिकार दिवस भी होता है, इसलिए इस दिन का महत्व तथागत बुद्ध विहार के लिए और अधिक उपयोगी हो जाता है। अब तक इसके आयोजन में कई पूज्य भंतेगण, मा0 न्यायाधीश, पुलिस सहित अन्य अधिकारीगण, मा0 मंत्रीगण, मा0 विधायकगण, सहित स्थानीय प्रतिनिधि एवं समाजसेवी व संगठन आ चुके हैं।

14 अपै्रल, बुद्ध पूर्णिमा अन्य मासिक पूर्णिमा, साप्ताहिक तथा मासिक सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियॉं

तथागत बुद्ध विहार में प्रतिवर्ष 14 अपै्रल को बाबा साहब का जन्मोत्सव भव्य तरीके से तथा झांकी/रैली के साथ, भोजनदान कराते हुए स्थानीय उपासकों द्वारा मनाया जाता है। इसके साथ ही कार्तिक पूर्णिमा, बैसाख पूर्णिमा, प्रत्येक मास की मासिक पूर्णिमा, अष्टमी को तथागत बुद्ध की वंदना सहित सभी महापुरूषों के जन्म एवं स्मृति दिवस को कृतज्ञतापूर्ण नमन करते हुए भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त अन्य सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम जैसे-अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन, सामाजिक कैडर, शैक्षिक गतिविधियॉं, संविधान प्रचार-मीटिंग आदि का भी आयोजन समय-समय पर देखने का मिलता है।

महापुरूषों के जन्म व स्मृति दिवस कार्यक्रम

तथागत बुद्ध विहार में सभी बहुजन महापुरूषों के जन्म दिवस-जयंती एवं स्मृति दिवस-महा-परिनिर्वाण दिवस को मनाया जाता है। इस अवसर पर संबंधित महापुरूषों के चित्र/प्रतिमा पर पुष्प/माल्यार्पण कर कृतज्ञतापूर्ण नमन का उनके योगदान एवं व्यक्तित्व पर चर्चा कर, उनके बताये-सुझाये गये सद्मार्ग पर चलने का उपासकों द्वारा प्रतिज्ञान किया जाता है।

झंडारोहरण (15 अगस्त) व ध्वजारोहण (26 जनवरी)

तथागत बुद्ध विहार परिसर में प्रतिवर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर झंडारोहण व 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण किया जाता है। इस दिन भारत के अमर वीर-शहीदों व महापुरूषों को याद कर उन्हें नमन करते हुए अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने की प्रतिज्ञा की जाती है तथा राष्ट्र की उन्नति के लिए असंवैधानिक कृत्यों से सदैव दूर रहने की शपथ ली जाती है।

प्रतिवर्ष प्रबुद्ध भारत कैलेंण्डर(वार्षिक) एवं बहुजन साहित्य, पंचशील ध्वज का निः शुल्क वितरण

तथागत बुद्ध विहार में प्रतिवर्ष 26 जनवरी को नववर्ष के उपलक्ष्य में प्रबुद्ध भारत के बहुजन कैलंेडर निःशुल्क भारी संख्या में उपासकों को वितरित किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त समय-समय पर सामाजिक जागरूकता के उद्देश्य से बहुजन साहित्य, पंचशील ध्वज व अन्य पत्रिकाओं का निःशुल्क वितरण संस्थापक/संरक्षक द्वारा अनवरत् किया जा रहा है।

पूज्य भंते गण एवं अन्य विशिष्ट महानुभावों का समय-समय पर आगमन

तथागत बुद्ध विहार में कुशीनगर, सारनाथ, लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, मऊ सहित अन्य स्थलों से समय-समय पर पूज्य भंतेगण का आगमन होता रहता है, जिनके द्वारा उपासकों को बुद्ध-धम्म-संघ की वंदना, पूजा एवं शील-सदाचार की शिक्षा दी जाती है। इसके अतिरिक्त इस तथागत बुद्ध विहार परिसर में समय-समय पर विशिष्ट अतिथियों में कई मा0 न्यायाधीश, पुलिस अधिकारीगण सहित अन्य अधिकारीगण, मा0 मंत्रीगण, मा0 विधायकगण, सहित स्थानीय गणमान्य प्रतिनिधि एवं समाजसेवी व्यक्तित्वों व संगठनों का आगमन बना रहता है।

रैली-झॉकी, प्रभात फेरी, पैदल मार्च, भीम जयंती यात्रा, संविधान यात्रा

तथागत बुद्ध विहार में संविधान रैली, सामाजिक जागरूकता रैली, संविधान प्रभात फेरी, स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण सहित प्रभात फेरी, असंवैधानिक घटनाओं पर आक्रोश प्रदर्शन हेतु पैदल शांति मार्च एवं दीपदान/प्रकाश मार्च, अंबेडकर जयंती पर शोभा यात्रा, धम्म ध्वज शांति मार्च का आयोजन संवैधानिक तरीके से एवं पूर्णतः शांतिपूर्ण ढ़ंग से शासकीय सुरक्षा व्यवस्था के अंतर्गत संपन्न किये जाते हैं।

संस्कार-आवाह-विवाह, नामकरण, अन्नप्राशन, केशकप्पन सस्कार(मुंडन), नये वाहनों की खरीद पर प्रथम दर्शन

तथागत बुद्ध विहार, चंदापुर में बौद्ध संस्कारों की अप्रतिम झलक देखने को मिलती है। यहां प्रायः बौद्ध भिक्खुओं/पूज्य
भंतेगण के सानिध्य में आवाह-विवाह संस्कार, शिशु नामकरण संस्कार, शिशु केशकप्पन संस्कार सहित सभी मांगलिक एवं पारिवारिक संस्कार पूज्य भंते द्वारा उपलब्धता के अनुसार पूर्णतः बौद्ध पद्धति से ही संपन्न होते रहते हैं। ऐसा माना जाने लगा है, कि यह एक सिद्ध स्थल है, इसलिए यहॉं अक्सर नये चार पहिया-कार या अन्य नये वाहनों की खरीद पर उपासक अपने वाहन सहित मंगल कामना के लिए प्रथमतः दर्शन हेतु मिष्ठान्न, फल-फूल-माला सहित तथागत बुद्ध विहार, चंदापुर में अवश्य आतेे हैं, जो उनकी बौद्ध आस्था व संस्कारों का सजग उदाहरण है।

बाल्य शैक्षिक गतिविधियॉं, पाठ्य-लेखन सामग्री का निःशुल्क वितरण व सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता

तथागत बुद्ध विहार में प्रतिदिन शैक्षिक गतिविधि संचालित होती है। यहां पर कई प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा बालक-बालिकाओं को शैक्षिक गतिविधियों के बारे में एक बड़े ब्लैक बोर्ड-स्केच के माध्यम से अवगत कराया जाता है, जिसमें अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, इतिहास, संविधान व सामान्य ज्ञान मुख्य विषय हैं। आर्थिक रूप से कमजोर किंतु प्रखर बच्चों को निःशुल्क शैक्षिक सामग्री-कापी, किताब, लेखन सामग्री सहित स्कूल-बैग इत्यादि वितरित कर उन्हें शिक्षालयों में अनवरत् शिक्षा ग्रहण करने के लिए सतत प्रोत्साहित करते हुए बाबा साहेब के आदर्श वाक्य ‘‘शिक्षित बनो’’ की प्रेरणा बच्चों को प्रदान की जाती है, ताकि वह भविष्य में एक बेहतर संवैधानिक नागरिक बन सकें।

छत्रपति शाहू जी महाराज लघु पुस्तकालय व साहित्य की उपलब्धता

तथागत बुद्ध विहार में दिनांक 15 अगस्त, 2023 को भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर स्थानीय उपासकों एवं छात्र/छात्राओं के निःशुल्क अध्ययन की सुविधा हेतु ‘‘छत्रपति शाहू जी महाराज लघु पुस्तकालय’’ की स्थापना की गयी है। कोरोना काल में इस लघु पुस्तकालय का उद्घाटन स्थानीय शिक्षक श्रद्धेय रामचंद्र गुरूजी नीला फीता काटकर किया था। इसमें एक छोटी लोहे की आलमारी में तत्समय भारत का संविधान, भगवान बुद्ध और उनका धम्म, बहुजन महापुरूषों के जीवन दर्शन एवं संघर्ष सहित लगभग 180 छोटी-बड़ी पुस्तकें उपासकों के निःशुल्क अध्ययन हेतु रखी गयी थीं। तथागत बुद्ध विहार के गुंबद के अंदर में ही पुस्तकों के निःशुल्क अध्ययन एवं संरक्षण हेतु तत्समय कई नियम तय किये गये थे, जिससे पुस्तकों का रख-रखाव सुगमतापूर्वक बना रहे। भविष्य में डिजिटल लाइब्रेरी इस बुद्ध विहार में स्थापित किये जाने का प्रस्ताव भी बना था, जिस पर कार्ययोजना प्रचलन में है।

महापुरूषों के चित्र व संविधान प्रदर्शनी

तथागत बुद्ध विहार में प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को स्थापना दिवस समारोह एवं संविधान महोत्सव के अवसर पर लगभग सभी बहुजन महापुरूषों के चित्र सहित संविधान की आकर्षक एवं ज्ञानोपयोगी प्रदर्शनी लगायी जाती है। यह सभी चित्र व प्रदर्शनी बुद्ध विहार की अपनी धरोहर है। इसके अतिरिक्त तथागत बुद्ध विहार में आयोजित होने वाले वर्ष भर के सभी छोटे-बड़े आयोजनों/जन्म जयंती कार्यक्रमांें में भी यह चित्र एवं प्रदर्शनी प्रेरक जानकारी सहित आकर्षण का केंद्र बनती है।

मंचन व भाषण प्रशिक्षण

तथागत बुद्ध विहार मंे स्थापना दिवस समारोह एवं संविधान महोत्सव के अतिरिक्त महापुरूषों के जन्म/स्मृति दिवसों व स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि अवसरों पर मंचन एवं भाषण का आयोजन होता है। इसके अतिरिक्त उपासकों एवं बालक/बालिकाओं के लिए भाषण देने/माइक पर बात कहने और अपनी झिझक दूर करने हेतु प्रशिक्षणस्वरूप सतत प्रशिक्षित करने का प्रयास किया जाता है, जिसके फलस्वरूप आज उपासक अपनी बात कहने, वंदना करने/कराने में अभ्यस्त होकर सुगमतापूर्वक अपनी बात कह पाने में निपुण बन रहे हैं।

भावी स्थापत्य कार्य-संविधान हाल-विपश्यना हाल, डिजिटल पुस्तकालय, मुख्य बौद्ध द्वार व अशोक स्तंभ का निर्माण

तथागत बुद्ध विहार की स्थापना के बाद से ही यहॉं उपरोक्त क्रियाकलापों एवं साज-सज्जा, सुविधाओं के बाद यहॉ कई स्थापत्य कार्य कराया जाना भविष्य में प्रस्तावित है, जिसमें तथागत बुद्ध विहार के सामने बोधिवृक्ष के पीछे संविधान हाल, मेडिटेशन हेतु विपश्यना कक्ष, डिजिटल पुस्तकालय हेतु कक्ष, कुछ अन्य महापुरूषों की प्रतिमायें/स्तूप स्थापित कराने, तथागत बुद्ध विहार की साज-सज्जा एवं उसके एकदम सामने बौद्ध स्थापत्य कला/स्तूप डिजायन में मुख्य द्वार/गेट का निर्माण कराने के साथ-साथ परिसर में अशोक स्तंभ का निर्माण सहित परिसर की बाउंड्रीवाल व सघन वृक्षारोपण कराया जाना भी भविष्य में प्रस्तावित है।

तथागत बुद्ध विहार एवं बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ0 भीमराव आंबेडकर प्रेरणा स्थल के निर्माण के पश्चात् क्षेत्र में स्थापित अन्य बुद्ध विहार/प्रतिमायें/प्रतीक स्थल

वर्ष 2017 में निर्मित व स्थापित तथागत बुद्ध विहार एवं बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ0 भीमराव आंबेडकर प्रेरणा स्थल के निर्माण के पश्चात् इस क्षेत्र में महापुरूषों की कई प्रतिमा स्थल व बुद्ध विहारों का निर्माण तेजी से जारी है। यह कहा जा सकता है कि इस बुद्ध विहार ने इस क्षेत्र में एक नई प्रेरणा प्रदान की है। प्रेरणा स्थल होने के अपने इस नाम को इस तथागत बुद्ध विहार ने वास्तव में साकार किया है। वर्ष 2017 के पश्चात् ग्राम-तमनपुर में देव बुद्ध विहार, मंसाखेड़ा में बाबा साहब की प्रतिमा, ढ़ोढ़वापुर में बाबा साहब की प्रतिमा, महिमापुर में बाबा साहब की प्रतिमा, भवानीगढ़ में बाबा साहब की प्रतिमा, बहादुर नगर में मा0 कांशीराम साहब की प्रतिमा, गंगागंज में बाबा साहब की प्रतिमा, उमरपुर में बाबा साहब की प्रतिमा का पुनरूद्धार सहित क्षेत्र में कई जगह छोटी-बड़ी प्रतिमायें स्थापित कर सामाजिक कार्यक्रम आहूत किये जाने का प्रचलन उत्तरोत्तर बढ़ा है, जो सामाजिक प्रेरक कार्य सहित बहुजन जन-जागरूकता का प्रेरणादायी उदाहरण है।
इस प्रकार हम समेकित रूप में यह कह सकते हैं कि तथागत बुद्ध विहार अपने सामाजिक एवं धाम्मिक उद्देश्य को प्राप्त करने में निरंतर फलीभूत हो रहा है।