हम देखें तो मा0 कांशीराम जी के मार्गदर्शन में महापुरूषों के सम्मान में कई जिलों तथा विश्वविद्यालयों के नाम महापुरूषों के नाम पर रखे गये थे। कई जगह बहुजन महापुरूषों की प्रतिमायें लगवाईं, जिससे कि बहुजन समाज उनके कार्यों तथा संघर्षों से प्रेरणा लेकर उनके काम को आगे बढ़ा सके। हमारे महापुरूषों ने अमानवीय अव्यवस्था के विरूद्ध संघर्ष करके बहुजन समाज को अपने पैरों पर खड़ा करने का कार्य आज से लगभग दो सौ साल पहले आरंभ किया था। महापुरूषों की प्रतिमायें तथा बुद्ध विहार बहुजन समाज को इन महापुरूषों द्वारा किये गये संघषपूर्ण कार्यों की याद ताजा करते रहते हैं और यह प्रेरणा प्रदान करते हैं कि जो काम महापुरूषों ने अथक प्रयास से प्रारंभ किये थे, वह आगे बंद नहीं होने चाहिए अर्थात्् निरंतर आगे बढ़ते रहने चाहिए। इसी कड़ी में तथागत बुद्ध विहार एवं बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर प्रेरणा स्थल, ग्राम-चंदापुर, पोस्ट गूढ़ा, ब्लाक शिवगढ़, जनपद रायबरेली, उ0प्र0 की स्थापना का मुख्य उद्देश्य बहुजन समाज के लोगों को उनके सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विकास के साथ-साथ उन्हें उपासना का वैकल्पिक स्थल प्रदान करने एवं समाज के भविष्य कहे जाने वाले नौनिहालों को अपने महापुरूषों एवं उनकी मानवतावादी विचारधारा से परिचित कराने के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने एवं आस-पास के गांवों के उपासकों को भी इसी तरह अपने-अपने गांवों-घरों में महापुरूषों की प्रतिमायें व बुद्ध विहार स्थापित करने की प्रेरणा प्रदान करना है और इस उद्देश्य को प्राप्त करने में यह काफी हद तक सफल भी हुआ है, क्योंकि तथागत बुद्ध विहार की स्थापना वर्ष 2017 के पूर्व इस क्षेत्र में बहुजन महापुरूषों की प्रतिमायें व बुद्ध विहार का अत्यंत अभाव सा था, या यों कहें न के बराबर था, परंतु वर्ष 2017 में यह संख्या एक दर्जन से ऊपर होकर निरंतर बढ़ती ही जी जा रही है।