मनगाँव सम्मेलन-बहिष्कृत वर्ग परिषद(21 मार्च, 1920)

कोल्हापुर जिले में मानगांव सम्मेलन 21-22 मार्च, 1920 को आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में महान लोकतंत्रवादी और समाज सुधारक, कोल्हापुर रियासत के छत्रपति शाहू महाराज, जो ने डॉ. बाबा साहब डॉ.भीमराव आंबेडकर को “भारत में उत्पीड़ित वर्गों का सच्चा नेता” घोषित किया था। डॉ. आम्बेडकर ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की थी, जबकि छत्रपति शाहू जी महाराज इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे।
1920 का यह मानगांव सम्मेलन अस्पृश्यों के आत्म-सम्मान और सम्मान की खोज के संघर्ष में, एक ऐतिहासिक घटना थी। उस समय, मनगाँव-गाँव के दलितों को जातिगत भेदभाव और हिंसा का प्रतिदिन सामना करना पड़ता था। इन अमानवीय भेदभावों और अस्पृश्यता के विरुद्ध अपने सामाजिक अधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनगांव के स्थानीय निवासियों द्वारा पहली बार एक जागरूकता सम्मेलन आयोजित करने और उस सम्मेलन में अपने स्वयं के समाज के एक संघर्षशील शिक्षित युवा डॉ. आम्बेडकर को अध्यक्षता करने हेतु आमंत्रित करने की योजना बनाई गयी। इस हेतु मनगांव के प्रबुद्ध लोगों ने शाहू जी महाराज से भी संपर्क किया और उनसे भी सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने का अनुरोध किया। डा.आम्बेडकर के राजनीतिक रूप से सक्रिय होने से पहले ही शाहू जी महाराज ने भेदभाव और सामाजिक अन्याय के विरुद्ध अपने कोल्हापुर राज्य में आंदोलन छेङ रखा था।
वर्ष 1920 में डॉ. बी.आर.आम्बेडकर, 29 वर्ष की आयु में, संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से एम.ए. और पीएच.डी. पूरी करने के बाद भारत लौट आए थे। उन्होंने सामाजिक अधिकारों के लिए बहुजनों के साथ संवाद और बैठकें शुरू कर दी थीं। मानगांव महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर से 20 किलोमीटर दूर एक गांव है, जो शाहू जी महाराज के राज्य की राजधानी थी। 
इस सम्मेलन में अप्पासाहेब पाटिल जी, जो कि जैन समुदाय से संबंधित थे और वह जोतिबा फूले के सत्यशोधक आंदोलन में सक्रिय थे, ने दलितों को सम्मेलन आयोजित करने में बङी मदद की। वे उस गांव के पाटिल थे। इस सम्मेलन के बाद, गांव के गैर पिछङों ने, अपने ही गांव के दलित समुदाय के साथ-साथ इस सम्मेलन में सहयोग करने वाले अप्पा साहब पाटिल के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार शुरू कर दिया। इसी सम्मेलन के लिए शाहू जी महाराज डॉ. आम्बेडकर को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित करने के लिए मुंबई उनके घर गए थे। 21 मार्च, 1920 का मनगाँव सम्मेलन, डॉ. आम्बेडकर की पहली सार्वजनिक सभा थी। इसी वर्ष उन्होंने ‘मूकनायक’ समाचार पत्र का संपादन भी प्रारंभ किया। डॉ. आम्बेडकर मनगाँव-गाँव में दो दिन तक रुके थे और इस सम्मेलन में उन्होंने बहुजनों की भावी उम्मीदों से भरा एक विद्वतापूर्ण सामाजिक संबोधन किया था, जहाँ उन्होंने बहुजनों से इस अन्यायपूर्ण असामाजिक अव्यवस्था के विरुद्ध बिगुल फूंकने और उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की सद्भावनापूर्ण अपील की थी।
इसी सम्मेलन में छत्रपति शाहू जी महाराज ने घोषणा की थी कि-“भारत में उत्पीड़ित वर्गों के सच्चे नेता डॉ. अम्बेडकर के रूप में अब हमें मिल गये हैं।”  इस सम्मेलन में पहली बार बहुजन अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए पंद्रह सूत्री एजेंडा पारित किया गया था, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण था-मुफ्त शिक्षा का अधिकार और अस्पृश्यता का उन्मूलन। इसी सम्मेलन के बाद से ही बाबा साहब मूक समाज के अघोषित नायक (मूकनायक) हो गये।
मनगाँव सम्मेलन (बहिष्कृत वर्ग परिषद) के आयोजन दिवस (21-22 मार्च, 1920) पर बोधिसत्व बाबा साहब डॉ.भीमराव आंबेडकर जी को कृतज्ञतापूर्ण नमन 💐🙏

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