वास्तविक रूप में “भारत का संविधान” महापुरुषों की मानवतावादी विचारधारा का सार है

आजकल हम भारत के लोग कहते रहते हैं कि – संविधान खतरे में है
…. तो फिर.
संविधान को खतरे से बाहर निकालने के लिए मुझे-आपको व्यक्तिगत तौर पर क्या करना होगा?

और

संविधान को खतरे से बाहर निकालने के लिए मैं सामूहिक तौर पर क्या कर सकता हूं………..?

हम भारत के लोग अक्सर कहते रहते हैं कि ‘संविधान बाबा साहब ने बनाया है’, पर जब इन्हीं लोगों से मैं पलटकर पूछता हूं कि क्या आपके घर पर बाबा साहब के भारत का संविधान की कोई पुस्तक है और क्या आपने बाबा साहब के भारत का संविधान को स्वयं कभी पूरा पढ़ा या परिवार, रिश्तेदारों अथवा अपने समाज को कभी पढ़ाया या पढ़ने के लिए प्रेरित किया है, तब वह अक्सर अपना प्रश्न बदल देते हैं या कहते हैं नहीं…..

अब वक्त आ गया है कि मुख्य रूप से..
“भारत का संविधान” के मूल पोस्टर के साथ भारत का संविधान के अनुच्छेद – 1, 5, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 21A, 22, 23, 24, 37, 38, 39, 40, 41, 42, 43, 47, 48, 49, 50, 51, 60, 159, अनुसूची – 3 को भी प्रत्येक गांव-नगर, गली चौक चौराहों पर लगाकर उसके पठन-पाठन व व्यवहारिक अनुपालन के लिए समाज को निरंतर प्रेरित करने का।

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