आज बाबा साहब के नाम का दिखावटी ढ़ोल पीटने वाले चाटुकार चमचाकार और शातिर जातिवाद की खाल पहने लोगों को यह पता होना चाहिए कि बाबा साहब को भारत की “संविधान सभा” का सदस्य बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाकर डॉ. आंबेडकर को “संविधान सभा” में पहुंचाने का वास्तविक श्रेय जोगेंद्रनाथ मंडल जी को ही जाता है। उनका मानना था कि अगर डॉ. आंबेडकर संविधान सभा में नहीं गए, तो बहुजन समाज को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। दरअसल, उस समय अनेक जातीय-अभिमानी लोग चाहते थे कि डॉ. आंबेडकर को संविधान सभा में जगह न मिले और इसके लिए उस समय तमाम प्रपंच भी किए जा रहे थे, जो सर्वविदित हैं।
महाप्राण जोगेंद्र नाथ मंडल जी का जन्म आज ही के दिन 29 जनवरी, 1904 को अविभाजित बंगाल स्थित बोरिसाल जिले में गौर नदी थाना के अंतर्गत मौस्तारकांदी गांव में एक कृषक बहुजन परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम रामदयाल मंडल जी और माताजी का नाम संध्यारानी मंडल था। अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान जोगेंद्रनाथ मंडल जी के मन में बचपन से ही पढ़ाई के प्रति ललक थी। वह हर हाल में पढ़ना चाहते थे। वर्ष 1924 में उन्होंने आरम्भिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त किया, फिर वर्ष 1929 में स्नातक की परीक्षा पास कर लॉ में दाखिला लिया। उन्होंने वर्ष 1934 में अपनी लॉ की डिग्री पूरी कर न तो कोई नौकरी ही की और न ही वकालत को अपना पेशा बनाया, बल्कि बहुजन समाज की सामाजिक और आर्थिक बदहाली को देखते हुए उन्होंने समाज को प्राथमिकता दी और सामाजिक आंदोलन के रास्ते को चुना। बाबा साहब डॉ.भीमराव आंबेडकर जी को संविधान सभा में पहुंचाने का महानतम श्रेय जोगेंद्रनाथ मंडल जी को ही जाता है। उनका मानना था कि अगर डॉ. आंबेडकर संविधान सभा में नहीं पहुंचे, तो बहुजन समाज को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। दरअसल, उस समय अनेक लोग चाहते थे कि डॉ. आंबेडकर को संविधान सभा में जगह न मिले। इसके लिए तमाम कुप्रयास भी किए जा रहे थे। इस संदर्भ में दिलीप गायेन जी ने जोगेंद्रनाथ मंडल जी के प्रयासों के बारे में लिखा है कि उस समय के बंगाल में सुहरावर्दी सरकार सत्ता में थी। उनके अनुसूचित जाति के विधायकों को लेकर साहस के साथ जोगेंद्रनाथ मंडल जी आगे बढ़े थे। बंगाल से डॉ. आंबेडकर को खड़ा कर उन्हें संविधान सभा का सदस्य बनाया गया था। उन्हें कांग्रेस के दो एम.एल.ए. गयानाथ बिस्वास और द्वारिकानाथ राय, निर्दलीय मुकुंद बिहारी मल्लिक, रंगपुर के नागेंद्रनारायण राय और अनुसूचित जाति फेडरेशन के एकमात्र एम.एल.ए. जोगेंद्रनाथ मंडल जी ने वोट किया था। विभाजन के समय कई सामाजिक कारणों से जोगेंद्रनाथ मंडल जी ने पाकिस्तान का रुख किया। उनके पाकिस्तान जाने के फैसले को लेकर अनेक भ्रांतियां फैलाई गईं। अनेक बहुजन साहित्यकारों और इतिहासकारों ने अपना जबाब जोगेंद्रनाथ मंडल जी के पक्ष में भी रखा है। 11 अक्टूबर, 1948 के बाद वहां की मौजूदा सरकार का रुख अच्छा नहीं था। वहां जो सांप्रदायिक दंगे हुए, उसमें सबसे ज्यादा नुकसान बहुजनों को ही हुआ। दंगे की इस असहनीय विभीषिका को जोगेंद्रनाथ मंडल जी सहन नहीं कर पाए और वह वर्ष 1950 में वहां मंत्री पद से त्याग-पत्र देकर भारत के पश्चिम बंगाल में आ गए। वह बंगाल वापस आकर बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की रिपब्लिकन पार्टी के लिए आजीवन काम करते रहे और दिनांक 05 अक्तूबर, 1968 को पार्टी का प्रचार करते-करते ही उनका आकस्मिक निधन हो गया था।
महाप्राण जोगेंद्रनाथ मंडल जी के जैसा बंगाल में बहुजन समाज का कोई भी अब तक बड़ा नेता नहीं हुआ। उन्होंने अपने समय बहुजन समाज के लिए जो सिद्धान्त तय किये थे, वह महत्वपूर्ण थे। उस समय की तत्कालीन परिस्थितियों को बिना जाने-समझे, केवल आज के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उनका विश्लेषण कर जोगेंद्रनाथ मंडल जी के बारे में कुछ लिखा हुआ पढ़कर, उनका आंकलन व मूल्यांकन कर लेना वस्तुतः तर्कसंगत नहीं है । जोगेंद्रनाथ मंडल जी को बाबा साहब का साथ मिला था, पर यह सत्य है कि यदि जोगेंद्रनाथ मंडल जी बाबा साहब के साथ भारत में ही लगातार रहकर एक साथ मिलकर काम किए होते, तो यह सत्य फलीभूत होता कि आज बंगाल सहित पूरे भारत में बहुजन आंदोलन को व्यापक फलक मिला होता। बहुजन समाज के लिए आजीवन आत्म सम्मान की लड़ाई लङने वाले और बाबा साहब के सहायक महाप्राण जोगेंद्रनाथ मंडल जी के जन्म दिवस 29 जनवरी (1904) पर कृतज्ञतापूर्ण नमन 💐🙏
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