‘भारत का संविधान’ का मसौदा प्रस्तुत (21 फरवरी, 1948)

बाबा साहब डॉ.भीमराव आंबेडकर जी ने संविधान सभा को भारत का संविधान (Constituion of India) का प्रारूप/मसौदा सौंपा था। 21 फरवरी, 1948 को संशोधित मसौदा जारी किया गया, जिसके आधार पर संविधान सभा को अपना कार्य आगे बढ़ाना था। संविधान सभा ने कई समितियों, उप समितियों और अस्थाई समितियों का गठन किया। एक समिति में तो संविधान सभा के सभी सदस्य थे। इस भूलभुलैया से संविधान के मसौदे को निकालना एक दुष्कर कार्य था। 21 फरवरी 1948 को भारत, की संविधान सभा (Constituent Assembly) के समक्ष भारत का संविधान (Constitution of India) का प्रारूप (Draft) पहली बार पेश किया गया था। 29 अगस्त, 1947 को संविधान सभा ने डाॅ. बी आर अम्बेडकर जी की अध्यक्षता में भारत का संविधान का मसविदा तैयार करने के लिए ‘ड्राफ्टिंग कमेटी’ का गठन किया। संवैधानिक सलाहकार सर एस.एन. राव जी ने अक्टूबर, 1947 में कमेटी के विचारार्थ एक मसविदा तैयार किया था। 21 फरवरी, 1948 को संशोधित मसविदा जारी किया गया, जिसके आधार पर संविधान सभा को अपना कार्य आगे बढ़ाना था।
सभा ने कई समितियों, उप समितियों और अस्थाई समितियों का गठन किया। एक समिति में तो संविधान सभा के सभी सदस्य थे। इन सबसे संविधान के मसविदे को निकालना एक दुष्कर कार्य था। डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद जी लिखते हैं कि-“डाॅ. अम्बेडकर ने एक कुशल पायलट की भांति संविधान के मसविदे को तूफानी हवाओं के बीच से निकाला।”
संविधान सभा के सदस्यों को करीब आठ महीनों तक इस प्रारूप के अध्ययन का अवसर मिला। सभा में तीन स्तरों पर संविधान प्रारूप पर बहसें हुई। नवम्बर, 1948 से 17 अक्टूबर, 1949 तक कई बैठकों में इस प्रारूप पर सिलसिलेवार चर्चा हुई। तीसरे और अंतिम प्रारूप पर 14 नवम्बर, 1949 को चर्चा शुरू हुई। तत्पश्चात 26 नवम्बर, 1949 को संविधान को पारित कर दिया गया। गहन चर्चाओं में पेश किए गए सुझावों पर विचार करते हुए संविधान के प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया। यह काम बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर जी के नेतृत्व में हुआ। भारतीय संविधान को अंतिम रूप भी प्रारूप समिति ने ही दिया था। आज हम लोगों को हैरानी हो सकती है कि उस समय संविधान सभा का निर्माण कैसे हुआ होगा, कौन से लोग इसके सदस्यों की योग्यताओं को कैसे तय किए होंगे। संविधान सभा के लिए बाकायदा चुनाव हुए थे, जो आजादी से लगभग एक साल पहले ही हो गए थे। जुलाई, 1946 में चुनाव संपन्न होने के बाद उसी साल दिसंबर में उसकी पहली बैठक भी हो गई थी। संविधान सभा के सदस्य वयस्क मताधिकार के आधार पर अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित हुए थे। बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने संविधान सभा में प्रारूप समिति की जिम्मेदारियों का सफल निर्वहन किया। प्रारूप समिति सिर्फ संविधान के प्रारम्भिक पाठों को लिखने के लिए जिम्मेदार नहीं थी, बल्कि उनको यह जिम्मा सौंपा गया था कि वह विभिन्न समितियों द्वारा भेजे गए अनुच्छेदों के आधार पर संविधान का लिखित पाठ तैयार करे, जिस बाद में संविधान सभा के सामने पेश किया जा सके. सभा के समक्ष कई मसविदे पढ़े गए और हर बार प्रारूप समिति (ड्राफ्टिंग कमेटी) ने चर्चा का संचालन और नेतृत्व किया था और इसकी अधिकतर जिम्मेदारियों का निर्वहन बाबा साहब ने स्वयं किया था।
आज 21 फरवरी को, भारत की, संविधान सभा (Constituent Assembly) के समक्ष “भारत का संविधान” (Constitution of India) का प्रारूप (Draft) पहली बार बाबा साहब द्वारा प्रस्तुत किये जाने के सुअवसर पर हम, “भारत के लोग” बाबा साहब को शत-शत नमन करते हुए आज “भारत का संविधान” की बदौलत ‘मानवीय जीवन’ प्राप्त करने हेतु भारत की संविधान सभा सहित बोधिसत्व बाबा साहब को बारम्बार कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं🙏जय संविधान

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