आज भारत में फूले-शाहू-आंबेडकरी वैचारिकी सतत आगे बढ़ रही है और इस कङी में प्रतिवर्ष हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला 14 अप्रैल हम बहुजन के बीच एक प्रेरक उत्सव के रूप में प्रासंगिक होता जा रहा है। पूरे विश्व में सबसे बृहद स्तर पर मनायी जाने वाली एकमात्र जन्म जयंती बाबा साहब की ही है। भारत में बङे-बङे शहरों-महानगरों से लेकर गांवों तक में अब तक बाबा साहब सहित बहुजन महापुरुषों की असंख्य प्रतीकात्मक प्रतिमायें स्थापित हो चुकी हैं, जहां प्रतिवर्ष 14 अप्रैल को विशेष तौर पर जयंती समारोह आयोजित कर बाबा साहब के अमूल्य योगदानों को याद कर नमन किया जाता है। इस अवसर पर बहुजन समाज के लोग बहुजन महापुरुषों के नाम से निर्मित किये गये प्रतिमा स्थलों, बुद्ध विहारों/छोटे-बङे व भव्य स्मारकों/पार्कों में असंख्य जनसमूहों के साथ एकत्र होकर बाबा साहब की प्रतिमाओं पर पुष्प-मालायें अर्पित कर, जय भीम के गगन-भेदी नारों के साथ नमन करते हुए कृतज्ञता ज्ञापित कर अमानवीय व असंवैधानिक प्रवृत्ति के लोगों को इस बात का अहसास कराते हैं कि बाबा साहब का ॠणी हाथी जैसा यह बलशाली व विशाल बहुजन समाज अब असंवैधानिक कृत्यों को अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा। यह अब किसी भी कीमत पर किसी के भी द्वारा और किसी भी तरह के अपमान व असंवैधानिक कृत्यों को सहन नहीं करेगा। इस समाज को (हाथी की सूङ-पूंछ-पैर-कान की तरह सोंचकर) पृथक-पृथक समझने की अब कोई भूल न करे। यह हमारा व्यक्तिगत दायित्व है कि हम बहुजन 14 अप्रैल के इस आयोजन में तन-मन-धन से सर्वत्र बढ़-चढ़कर भाग लें तथा इस दिन विशेष तौर पर अपने बच्चों व पूरे परिवार सहित बहुजन समाज के अपने गौरवशाली पार्कों-स्मारकों में महापुरुषों के सम्मान में समय निकालकर खासकर एक ही जगह पर एकत्र होकर बहुजन एकता का सांस्कृतिक संदेश देना चाहिए। 14 अप्रैल को आपके इन बहुजन स्मारकों-विहारों-पार्क व प्रतिमा स्थलों में आपको कोई बहुजन साहित्य से परिचय कराता हुआ मिलेगा, तो कहीं बाबा साहब की मनमोहक झांकियां-शोभा यात्राएं आपका ध्यान बरबस आकर्षित करेंगी। संविधान व अंतरजातीय विवाह से संबंधित आकर्षक बैनर-पोस्टर सहित इनके प्रचारक भी आपको यहां देखने को मिलेंगे। वहीं दूसरी ओर बहुजन समाज के बहुत सारे सामाजिक संगठनों, समितियों, दलों व सरकारी संस्थानों के कर्मियों के सहयोग से आगंतुक बहुजनों के सहायतार्थ लगाये गये पंडालों-स्टालों पर जलपान व भोजन की बेहतरीन व्यवस्था, आपको भूख-थकान व बोरियत का जरा भी अहसास नहीं होने देती है। यहां आपको कई बहुजन यू-ट्यूब चैनल के संवाददाता, स्थानीय अखबारों के संपादक एवं सोशल मीडिया के प्रचारक भी इस जन्मोत्सव को कवर करते हुए आपको अपनी मीडिया का अहसास कराते हुए मिल जाएंगे। आज के दिन आपको यहां पर बहुजन साहित्य के साथ ही आंबेडकरी आंदोलन से जुड़ी हुई दुर्लभ प्रतीकात्मक वस्तुएँ, जो आपको आसानी से नहीं मिलती हैं, जैसे-बाबा साहब की तश्वीर के साथ प्रिंटेड टी-शर्ट, नीली टोपी, अशोक चक्र-स्तंभ, पेन-डायरी, भीम कैलेंडर, लकड़ी की बनी हुई बुद्ध और अम्बेडकर व अन्य महापुरुषों की मूर्तियाँ, शादी कार्ड, बहुजन महापुरूषों के आकर्षक पोस्टर-फोटो, कलैंडर, डायरी, पाकेट कलैंडर, आकर्षक नोट बुक, कई प्रकार के चाबी के छल्ले, पंचशील झंडी के पैकेट, अलग-अलग साइज के पंचशील झण्डे, पंचशील पटके, कई प्रकार के महापुरूष प्रिंटेड लिफाफे, कार शेड छोटी बड़ी मूर्तियां (बुद्ध और आंबेडकर), थ्री डी पिक्चर आदि भी आसानी से मिल जाएंगी। हमें इन्हें अवश्य अपने घरों में ले जाकर स्थापित करना चाहिए। यह दिन वास्तव में बहुजन सांस्कृतिक व सामाजिक आंदोलन का विस्तार है। यह सब हम बहुजनों के लिए, इक्कीसवीं शताब्दी में एक बड़ी सामाजिक उपलब्धि है। यह सब प्रयास ही बहुजन आंदोलन की सांस्कृतिक व सामाजिक वैचारिकी की जमीन पैदा करते हैं और उसे मजबूत बनाते हैं। मान्यवर साहब कांशीराम जी भी सभी बहुजन महापुरुषों की जयंती को मेला के रूप में मनाने के लिए प्रेरित करते थे और स्वयं मनाते थे। बहुजन समाज में जन्में सभी संतों-गुरूओं-महापुरूषों, मूलनिवासी महानायकों की जीवनियां, उनसे जुड़े मानवतावादी- संवैधानिक विचार, प्रतीक और “भारत का संविधान” बहुजन समाज के एक-एक घर-व्यक्तित्व तक व्यावहारिक, सांस्कृतिक एवं वास्तविक रूप में पहुंचे, जिससे वह बौद्धिक रूप से जागरूक हों और आगे बढ़कर अपने संवैधानिक अधिकार हासिल करें। यही इस दिन(14 अप्रैल, 2024) की सबसे बङी सफलता और बाबा साहब को वास्तविक अर्थों में नमन करना होगा…जय भीम-जय भारत-जय संविधान
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