“प्रबुद्ध भारत”-समाचार-पत्र अर्थात “नए भारत का निर्माण”-बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की बृहद सोंच वाले नव-राष्ट्र निर्माण का, सशक्त दस्तावेज
बाबा साहब के अंतिम समाचार-पत्र ‘प्रबुद्ध भारत’ का पहला अंक आज ही के दिन 04 फरवरी, 1956 को प्रकाशित हुआ, जबकि बाबा साहब द्वारा ‘मूकनायक’ समाचार-पत्र का पहला अंक 31 जनवरी, 1920 को निकाला गया था।
‘मूकनायक’ से ‘प्रबुद्ध भारत’ तक बाबा साहब की उनकी यात्रा उनके जीवन–यात्रा, चिंतन–यात्रा और संघर्ष–यात्रा का भी प्रतीक है। ‘मूकनायक’(बाबा साहब) ‘प्रबुद्ध भारत’ में ही अपनी और पूरे भारतीय समाज की मुक्ति देखते हैं। डॉ. आंबेडकर की पत्रकारिता का संघर्ष ‘मूकनायक’ के माध्यम से मूक लोगों की आवाज बनने से शुरू होकर ‘प्रबुद्ध भारत’ के निर्माण के स्वप्न के साथ विराम लेती है। ‘प्रबुद्ध भारत’ अर्थात एक नए भारत का निर्माण। बाबा साहब की गहन अध्येता गेल ओमवेट जी इसे नए राष्ट्र के निर्माण हेतु डॉ. आंबेडकर का स्वप्न कहती हैं, वह लिखती हैं कि – “डॉ. आंबेडकर का बुनियादी संघर्ष एक अलग स्वाधीनता का संघर्ष था। यह संघर्ष भारतीय समाज के सर्वाधिक संतप्त वर्ग की मुक्ति का संघर्ष था, उनका स्वाधीनता संग्राम उपनिवेशवाद के विरुद्ध चलाए जा रहे स्वाधीनता संग्राम से बृहद और गहरा था, उनकी नजर नवराष्ट्र के निर्माण पर थी” (गेल ओमवेट, पृ.149)।
बोधिसत्व बाबा साहब डॉ.भीमराव आंबेडकर जी की पत्रकारिता और उनके सारे समाचार–पत्रों का यदि वास्तविक विश्लेषण किया जाए, तो हम पायेंगे कि वह एक पत्रकार के रूप में भी बहिष्कृत समाज की मुक्ति के साथ नए राष्ट्र के निर्माण के लिए कार्य करते रहे, क्योंकि बाबा साहब को इस तथ्य का गहरा अहसास था कि बहिष्कृत भारत (दलित-पिछङा समाज) की पूर्ण मुक्ति और प्रबुद्ध भारत का निर्माण एक दूसरे के पर्याय हैं।
प्रबुद्ध भारत ’ समाचार-पत्र के प्रकाशन तिथि 04 फरवरी(1956) के अवसर पर आज हम बोधिसत्व बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के “दूरदर्शी नव-राष्ट्र निर्माता व कुशल पत्रकार व्यक्तित्व” को स्मरण करते हुए कृतज्ञतापूर्ण नमन करते हैं💐🙏
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