पूर्व राज्यपाल डॉ.माता प्रसाद जी (11 अक्टूबर, 1925 – 20 जनवरी, 2021)

लोकगीतों में वेदना और विद्रोह के स्वर, हिंदी साहित्य में दलित काव्य धारा, भारत में दलित जागरण और उसके अग्रदूत, भारत में सामाजिक परिवर्तन के प्रेरणास्रोत (भाग-1), भारत में सामाजिक क्रांति के प्रेरणास्रोत (भाग-2), उत्तरांचल व उत्तर प्रदेश की दलित जातियों का दस्तावेज, दलित साहित्य में प्रमुख विधाएं, अन्तहीन बेड़ियां, स्वतंत्रता के बाद लखनऊ की, दलित-शोषित विभूतियां, उत्तर प्रदेश के संदर्भ में चमार जाति का इतिहास, प्रतिशोध, जातियों का जंजाल, दिल्ली की गद्दी पर खुसरो भंगी, राजनीतिक दलों में दलित एजेण्डा, एकलव्य (खण्ड काव्य), दलितों का दर्द. भीम शतक, घुटन, परिचय सतसई, अछूत का बेटा, महादानी राजा बलि (नाटक), धर्म के नाम पर धोखा, उत्तर भारत में दलित चेतना के प्रथम अग्रदूत स्वामी अछूतानंद हरिहर, तड़प मुक्ति की, वीरांगना झलकारी बाई (नाटक), वीरांगना उदा देवी पासी (नाटक) एवं ‘झोपड़ी से राजभवन’ की राजनीतिक जीवन यात्रा का वृतांत आदि प्रमुख पुस्तकों के शोधपरक मूर्धन्य लेखक व सामाजिक चिंतक, संस्कृतिकर्मी, बहुजन लेखक, सहज-सरल राजनीतिक व्यक्तित्व व अरूणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल रहे डॉ.माता प्रसाद जी के स्मृति दिवस 20 जनवरी(2021) पर नमन 💐🙏

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