संविधान निर्माता, भारत रत्न, बोधिसत्व बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के करीबी विश्वस्त सहायक नानकचंद रत्तू जी का जन्म आज ही के दिन 06 फरवरी, 1922 को पंजाब प्रांत के होशियारपुर जिले के सकरुली गांव में बहुजन परिवार में हुआ था। उन्हें बाबा साहब का सबसे निकटतम और निष्ठावान निजी सचिव के रुप में जाना जाता है। उन्होंने अपना परिवार, व्यक्तिगत लाभ, सरकारी नौकरी, महत्वकांक्षा और आकांक्षाओं को न्यौछावर करके करीब 17 साल तक (03 मार्च, 1940 से बाबा साहब के महापरिनिर्वाण समय 06 दिसम्बर, 1956 तक) बाबा साहब को अपनी समर्पित भाव से विश्वसनीय सेवाएं प्रदान की। वर्ष 1938 में मैट्रिक परीक्षा पास करने के पश्चात, वह नवंबर, 1939 में नौकरी की तलाश में दिल्ली आए। वर्ष 1941 में भारत सरकार की नौकरी मिलने से पहले उन्हें बहुत ही कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा, जो उल्लेख से परे है। नौकरी में रहते हुए उन्होंने बी.ए. की परीक्षा पास की। बाबा साहब को सेवाएं प्रदान करने के लिए उन्होंने अपनी एम.ए. की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। लाखों पीड़ितजनों के हितों के लिए उन्होंने कष्ट, अपमान, परेशानियां और क्लेशों से गुजरते हुए खुद के लिए सम्मान का स्थान प्राप्त किया। वह आज पिछङों के दिलों में इतने प्रबल तरह से स्थापित हैं कि हम भारत के लोग उनके उद्धारक बाबा साहब के प्रतिबिंब का, उच्च सम्मान देते हैं। छाया की तरह वह सदैव बाबा साहब के महापरिनिर्वाण तक उनकी पावन संगत में रहे। वह बाबा साहब के लिए वैसे ही थे जैसे आनंद, तथागत बुद्ध के लिए थे।
उन्हें भारत, इंग्लैंड और जर्मनी इत्यादि देशों के अंबेडकरवादी संगठनों द्वारा बाबा साहब को प्रदान की गई अद्वितीय सेवाओं के लिए तथा सर्वोत्तम गुणों के प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता के मान्यता स्वरूप भीम मेडल, भीम रत्न अवार्ड, अंबेडकर सेंटेनरी अवार्ड, भंते आनंद अवार्ड, अंबेडकर रत्न सेंटेनरी अवार्ड, विश्वरत्न डॉ.अंबेडकर भूषण अवार्ड तथा अनेक प्रशंसा पत्रों से समय-समय पर नवाजा गया है। उनको जो अभिनंदन और सम्मान प्राप्त हुए वह अनूठे, शानदार और सौजन्यपूर्ण रहे। बाबा साहब के मुक्तिसंग्राम के वीरतापूर्ण, महान, प्रतापी इतिहास में प्रख्यात जीवनीकारों, शोधार्थियों, प्रसिद्ध लेखकों, पत्रकारों ने एक सुवर्ण अध्याय, उनके नाम किया है। जिन साहित्यकारों ने रत्तू जी के द्वारा उपलब्ध कराए गई सामग्री और जानकारी के आधार पर बाबा साहब पर विस्तार से लिखा है, उन्होंने रत्तू जी का अपने साहित्य में आभार भी व्यक्त किया है।
उनके अथक प्रयासों से नागपुर में निर्मित अंबेडकर संग्रहालय, एक ऐतिहासिक स्मारक और विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्थल बनने की ओर अग्रसर है। इसके अलावा, आगंतुकों की सुविधा के लिए ‘अम्बेडकर अतिथि गृह’ के निर्माण की कोशिशें प्रशंसनीय है। 29 फरवरी, 1980 में रत्तू जी केंद्र सरकार से अवर सचिव के पद से निवृत हुए। 79वर्ष की परिपक्व उम्र में भी वह बाबा साहब के महान मिशन और धम्म के प्रचार प्रसार में सक्रिय संलग्न रहे। दिनांक 15 सितम्बर, 2002 को 80 वर्ष की आयु में रत्तू जी का निधन हो गया था। आज वह हमारे बीच नहीं है, किन्तु उनका कार्य, हम सबको सदैव बाबा साहब के मिशन को आगे बढ़ाने की सद्प्रेरणा देता रहेगा।
बोधिसत्व बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के विश्वस्त व करीबी सहायक नानकचंद रत्तू जी के जन्म दिवस 06 फरवरी पर कृतज्ञतापूर्ण नमन💐🙏
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