महाकवि विनीत विक्रम बौद्ध जी का जन्म 02 दिसंबर, 1925 को मध्य प्रदेश के सतना जिले के सोनवर्षा गांव के पिछङे समाज (कुर्मी कृषक परिवार) में हुआ था। वह आगरा विश्वविद्यालय से परा स्नातक के बाद, मध्य प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों में शिक्षक, प्रवक्ता एवं प्राचार्य के पदों पर कार्यरत रहे। वर्ष 1984 में प्राचार्य पद से सेवानिवृत होकर वह पूर्ण रूप से सामाजिक कार्य में संलग्न हो गए। महाकवि विनीत विक्रम जी बौद्ध धम्म एवं दर्शन का विशेष अध्ययन किया। आपने दिनांक 14 अक्टूबर, 1985 को बौद्ध धम्म स्वीकार कर लिया। आज ही के दिन 27 फरवरी, 2010 को आपका निधन हो गया था। महाकवि विनीत विक्रम बौद्ध जी की प्रसिद्ध कृतियों में- पांच महाकाव्य (चंद्रगुप्त मौर्य, पाण्डवपुराण, जयदेव, चारूवाक, बुद्ध चरित्र चंद्रोदय) दो खण्ड काव्य (शंबूक वध, नागौर का नाहर) एवं अन्य रचनाओं में- सोमलता, करील के कांटे, कवियों के कतरे, गजरे, पहले के पहलू इत्यादि हैं। विनीत विक्रम बौद्ध जी ने अनेक गद्य रचनायें भी लिखी हैं, जिनमें-बुद्ध या राम, सम्यक संदेश, जातिवाद का सर्वेक्षण, धर्मपरिवर्तन क्यों, बौद्ध धर्म का स्वरूप, बौद्ध दर्शन के दृष्टिकोण आदि प्रसिद्ध हैं। वास्तव में जो समाज अपने बौद्धिक वर्ग का जितना पालन-पोषण करता है, वह समाज स्थायी रूप से उतना ही अग्रणी और भविष्यगत होता है। सामाजिक, राजनैतिक क्रांति का रास्ता लेखन से होकर ही गुजरता है, यह बात बहुजन महापुरुषों ने अपनी लेखनी से साबित किया है और इस सत्कार्य में महाकवि विनीत विक्रम बौद्ध जी की भूमिका अग्रणी रही है। महाकवि विनीत विक्रम बौद्ध जी द्वारा अवधी भाषा में रचित बुद्ध चरित चंद्रोदय अब एक प्रसिद्ध लोकप्रिय महाकाव्य बन गया है। आज बुद्ध चरित चंद्रोदय बौद्ध परिवारों में एक विशेष स्थान रखता है। उत्तर भारत में बुद्ध चरित चंद्रोदय को बौद्ध उपासकों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है तथा उपासकों के मांगलिक कार्यक्रमों, बुद्ध विहारों आदि में इसके 28 सर्गों का गायन कर पाठ किया जाने लगा है। बौद्ध जगत में विशेषकर उत्तर भारत में इसे हिन्दी साहित्य की महान कृति माना जाने लगा है तथा इसे बौद्ध उपासक अपने घरों में सम्मान और श्रद्धा के साथ घरों में रखकर पठन-पाठन करते हैं।
27 फरवरी को बहुजन समाज के महान भूषण महाकवि विनीत विक्रम बौद्ध जी के स्मृति दिवस पर उन्हें कृतज्ञतापूर्ण नमन💐🙏
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