भारत में RBI अर्थात रिज़र्व बैंक आफ इण्डिया (भारतीय रिज़र्व बैंक) की स्थापना बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की प्रसिद्ध किताब ‘द प्रॉब्लम ऑफ रुपी-इट्स ऑरिज़न एंड इट्स सॉल्यूशन’ के आधार पर की गई है। भारतीय रुपये और आर्थिक इतिहास पर लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स से पहली पीएच.डी. करने वाले डॉ. आंबेडकर ने अपनी किताब में भारतीय रुपये के अवमूल्यन और समस्या के बारे में विस्तार से बताया है और साथ ही रुपये को संभालने के लिए बतौर अर्थशास्त्री उपाय भी सुझाए हैं। वर्ष 1926 में अंग्रेज़ों ने “रॉयल कमीशन” जिसे ‘हिल्टन कमीशन’ के नाम से भी जाना जाता है, को भारत भेजा, क्योंकि पहले विश्व युद्ध के बाद इंडियन करेंसी की बहुत बुरी हालत होती जा रही थी। डॉ. आंबेडकर ने हिल्टन कमीशन के सामने उपस्थित होकर अपनी इसी किताब के आधार पर RBI जैसे बैंक की संकल्पना आयोग के सामने पेश की थी। बाद में हिल्टन कमीशन ने बाबा साहब के सुझावों के आधार पर RBI की स्थापना का प्रस्ताव दिया और इस तरह आज ही के दिन 01 अप्रैल, 1935 को भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना हुई। बाबा साहब के अर्थशास्त्र से संबंधित अथाह ज्ञान के विषय में हम आज भारत रत्न व नोबेल पुरस्कार प्राप्त विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन जी ने इस कथन से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि –”अर्थशास्त्र में डॉ. आंबेडकर मेरे पिता हैं। वह वंचितों के सच्चे प्रतिष्ठित चैंपियन हैं। उन्होंने आज जो कुछ भी हासिल किया है, उससे कहीं अधिक के वह हकदार हैं। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनका योगदान अद्भुत है और हमेशा याद किया जाएगा…।”
RBI के स्थापना दिवस 01 अप्रैल पर महान अर्थशास्त्री, दूरदर्शी, संविधान निर्माता, विश्व रत्न और आधुनिक भारत के जनक बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी को कृतज्ञतापूर्ण नमन 💐🙏
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